Kin se nikaah karna jaiz nahi | किन औरतों से निकाह करना जायज नहीं
Kin Auraton Se Nikaah karna Jaiz Nahi
अस्सलामु वालेकुम वरहमतुल्लाही वबरकाती आज मैं आपको बताऊंगा किन औरतों से निकाह करना जायज नहीं . दुनिया में इंसान के वजूद को बाकी रखने के लिए खुदा के कानून के मुताबिक मुखालिफ जिन्स का आपस में मिलना जरूरी है. लेकिन उसी के कानून के मुताबिक कुछ ऐसे भी इंसान होते हैं जिनका जिंसी तौर पर आपस में मिलना खुदा के कानून के खिलाफ है. अल्लाह ताला कुरान ए मुकद्दस मे इर्शाद फरमाता है : हराम है तुम पर तुम्हारी मां है और बेटियां और बहने और फुफियाऔर सालियां और भतीजी और भांजीया और तुम्हारी मां जिन्होंने तुम्हें दूध पिलाया और दूध की बहने और तुम्हारी औरतों की माँ तुम पर हराम है |
कंजूल इमान पारा 4
निकाह के मसाइल
क़ुरआने करीम की इस आयत से मालूम हुआ कि मां، बेटी ،बहन، भतीजी ،भांजी ،दादी ،नानी ، सास वगैरह से निकाह करना हराम है. मसला : मां सगी हो या सौतेली , बेटी सगी हो या सौतेली, बहन सगी हो या सौतेली ,उन तमाम से निकाह करना हराम है। इसी तरह दादी، परदादी ،नानी ، परनानी ،पोती, परपोती ،बीच में चाहे कितनी ही फासला हो इन सब से निकाह करना हराम है. मसाला : फुफी , फूफी की फूफी ، खाला, खाला की खाला, भतीजी भांजी और भांजी की लड़की या उसकी नवासी या पोती इन तमाम से भी निकाह करना हराम है. मसला : जिना से पैदा हुई बेटी उसकी नवासी उसकी पोती इन तमाम से भी निकाह करना हराम है. बहारे शरीयत बहारे ज़िल्द एक हिस्सा नंबर 7 पेज नंबर 14 हदीस शरीफ : हजरत अमरा बिनते अब्दुल रहमान और हजरत मौला अली रजि अल्लाह ताला अनहू से रिवायत है कि सरकार सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम ने इरशाद फरमाया : राजाअत यानी दूध के रिश्ते से भी वह रिश्ते हराम हो जाते हैं जो विलादत से यानी पैदाइश से हराम होते हैं.
बुखारी शरीफ जिल्द नंबर 3 हदीस नंबर 90
मसला : निकाह हराम होने के लिए ढाई बरस का जमाना है कोई औरत किसी बच्चे को ढाई बरस के अंदर अगर दूध पिलाए गी तो निकाह का हराम होना पाया जाएगा। और अगर ढाई बरस की उम्र के बाद किसी ने दूध पिया तो निकाह हराम नहीं होगी।
बहारे शरीयत जिलद नंबर 1 हिस्सा नंबर 7
मसला : औरत यानी बीवी की बहन चाहे सगी या रजाई हो यानी दूध में शरीक हो. बीबी की खाला या फूफी चाहे सगी हो या रजाई इन सब से भी बीवी की मौजूदगी में निकाह करना हराम है. अगर बीवी को तलाक दे दी हो तो जब तक औरत की इद्दत ख़त्म ना हो उसकी बहन, खाला वगैरह से निकाह नहीं कर सकता. कानून ए शरियत ज़िल्द 3 पेज नंबर 48 हदीस शरीफ : हजरत अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास रजि अल्लाह ताला अन्हुमा से इमाम बुखारी रजि अल्लाह ताला अनहू रिवायत करते हैं कि 4 से ज्यादा बीवियां इसी तरह हराम है जैसे आदमी की अपनी बेटी और बहन हराम हैं.
बुखारी शरीफ ज़िल्द 3 बाब नंबर 54
हदीस शरीफ : हुजूर अकरम सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम इरशाद फरमाते हैं शराबी के निकाह में अपनी लड़की ना दो. शराबी अगर बीमार पड़े तो उसे देखने ना जाओ. उस जात की कसम जिसने मुझे हक वाला नबी बनाकर भेजा शराब पीने वाले पर तमाम आसमानी किताबों में लानत आई है. हदीस शरीफ: हजरत इमाम अबुललैस रजि अल्लाह ताला अनहू अपनी सनद के साथ अपनी तसनीफ में रिवायत करते हैं कुछ साहबए कराम से रिवायत है कि जिसने अपनी बेटी का निकाह शराबी मर्द से किया तो उसने उसे जिना के लिए रुखसत किया। मतलब यह कि शराबी आदमी नशे में बकसरत तलाक का जिक्र करता है जिससे उसकी बीवी उस पर हराम हो जाती है।
(तनबीहुलगाफलीन पेज नंबर 169)
काफिरों और मुशरिक मर्द और औरत से निकाह करना हराम है
अल्लाह ताला इरशाद फरमाता है :और शिर्क वाली औरतों से निकाह ना करो जब तक कि वह मुसलमान ना हो जाए |
कंजुल ईमान पारा नंबर दो सूरह बकरा रुकु नंबर 11
मसाला : मुसलमान मर्द का मजूसी यानी आग की पूजा करने वाले बुत परस्त सूरज पूजने वाली, सितारों को पूजने वाली ,उन तमाम में से किसी भी औरत से निकाह नहीं होगा |
बहारे शरीयत जिंद एक हिस्सा नंबर 7 सपा नंबर 17
आज के इस दौर में अक्सर हमारे मुस्लिम नौजवान काफ़िर और मुशरिक औरतों से निकाह करते हैं .और निकाह के बाद उन्हें मुसलमान बनाते हैं | यह निहायत ही गलत तरीका है और शरीयत में हराम है | अव्वल तो निकाह सही नहीं होता क्योंकि निकाह के वक्त तक लड़की काफ़िर o मुशरिक थी | लिहाजा सिरे से निकाल ही ना हुआ पहले उसे मुसलमान किया जाए फिर निकाह किया जाए | याद रखिए काफिर और मुशरिक औरत से मुसलमान करके निकाह करना जायज तो है लेकिन यह कोई फर्ज या वाजिब नहीं | बल्कि कुछ रिवायतों के मुताबिक हुजूर सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम ने उसे पसंद भी नहीं फरमाया इसकी बहुत सारी वजहें हैं |
इसकी बहुत सी वजह मौलाना ने बयान किया है |
- जिस नौ मुस्लिम औरतों से आपने शादी की अगरचे वह मुसलमान हो गई लेकिन उसके सारे मेंके वाले काफिर हैं| और अब क्योंकि वह आपके रिश्तेदार बन चुके हैं इसलिए आपकी औरत और खुद आपको उनसे ताल्लुकात रखने पड़ते हैं और. फिर आगे चलकर मुख्तलिफ बुराइयां जन्म लेती हैं और नए-नए इख्तिलाफात पैदा होते हैं |
- औरत के नौ मुस्लिम होने की वजह से औलाद की तरबियत खालिस इस्लामी ढंग से नहीं हो पाती |
- अगर मुसलमान मर्द काफिर लड़कियों से निकाह करेंगे तो कुंवारी मुस्लिम लड़कियों की तादाद में इजाफा होगा . मुस्लिम लड़कों की कमी होने लगेगी |और मुस्लिम लड़कियों को बड़ी उम्र तक कुंवारा रहना पड़ेगा और ज्यादा उम्र तककुवांरी जिंदगी नई नई बुराइयों के जन्म का सबब बनेगी | दीन ए इस्लाम में मुश्रीकाना रस्मों का रिवाज बढ़ेगा |
- इस तरह के सैकड़ों बातें हैं जिन्हें यहां बयान करना मुमकिन नहीं . हासिल ये की काफिर और मुश्लरिका लड़की या औरत से निकाह ना करें यही बेहतर है | इससे दीन और दुनिया दोनों का बड़ा नुकसान है .इसीलिए अल्लाह ताला ने जहां मुशरिक औरतों को मुसलमान करके निकाह की इजाजत दी है वहीं मोमिन लौंडी से निकाह को ज्यादा बेहतर बताया है बनिस्बत इसके कि मुश्रिका और काफिर औरत से निकाह किया जाए |
अक्सर मुसलमान लड़के गैर मुस्लिम लड़की से मोहब्बत करते हैं | मुसलमान लड़के से पहले मोहब्बत और फिर शादी करने वाली लड़कियां अक्सर साथ नहीं निभाती हैं और जरा से अनबन हो जाने पर हिंदू मुस्लिम तकरार का बखेड़ा खड़ा करने की कोशिश करती हैं | लेकिन जो औरत या लड़की पहले इस्लाम से मुतासिर हुए उसे प्यार और मोहब्बत या शादी की कोई लालच नहीं थी और उसे दीन ए इस्लाम पर कायम हुए एक जमाना गुजर गया ऐसी लड़की या औरत से जरूर निकाह कर लेना चाहिए ताकि इस्लाम कुबूल करने पर गैर शादीशुदा होने का लोग उसे ताना न दे सके |