Qayamat Ki Nishaniya | क़यामत की निशानियाँ इन के होने से पहले क़यामत नहीं आएगी
Qayamat Ki Nishaniya | क़यामत की निशानियाँ इन के होने से पहले क़यामत नहीं आएगी
कियामत और हश्व का बयान ☆ ज़मीन, आसमान, जिन्न, इंसान और फरिश्ते सब एक दिन फना हो जायेंगे, सिर्फ अल्लाह ताला की ज़ात बाकी रहेगी, उसी दिन को कियामत कहते हैं।
कियामत से पहले उसकी चन्द निशानियां ज़ाहिर होंगी
(1) तीन जगह आदमी ज़मीन में धंस जायेंगे।
(2) इल्म उठ जाएगा यानी उलमा उठा लिये जायेंगे।
(3) जिहालत की कस्रत होगी।
(4) जिना की ज़्यादती होगी। (5) मर्द कम होंगे और औरतें ज़्यादा, यहां तक कि एक मर्द की सरपरस्ती में 50 औरतें होंगी।
(6) बड़े दज्जाल के अलावा तीस और दज्जाल होंगे कि वो सब नबी होने का दावा करेंगे, उनमें से बाज़ गुज़र चुके हैं, जैसे मुसैलमा कज़्ज़ाब, तलीहा बिन खुवैलद, असवद अनसी, सुजाह औरत, कि बाद में इस्लाम ले आई और गुलाम अहमद कादियानी वगैरहुम ।
(7) माल की कस्रत होगी। नहरे फुरात अपने खज़ाने खोल देगी कि वो सोने के पहाड़ होंगे।
(8) मुल्के अरब में खेती, बाग़ और नहरें हो जायेंगी।
(9) दीन पर कायम रहना ऐसा दुशवार होगा जैसे मुट्ठी में अंगारे लेना ।
(10) वक़्त में बरकत न होगी, यहां तक कि साल महीने की तरह, महीना हफ्ता की तरह, हफ्ता दिन की तरह और दिन ऐसा हो जायेगा जैसे किसी चीज़ को आग लगी और जल्द भड़क कर खतम हो गई।
(11) ज़कात देना लोगों पर गिरां होगा और उसको तावान समझेंगे।
(12) इल्मे दीन पढ़ेंगे मगर दीन के लिये नहीं।
(15) मर्द अपनी औरत का मुतीञ् (फरमांबर्दार) होगा और मां बाप की नाफरमानी करेगा।
(14) मस्जिद में लोग चिल्लाएंगे।
(15) गाने बाजे की कस्रत होगी।
(16) अगलों पर लअन तअन करेंगे और उनको बुरा कहेंगे।
(17) दरिन्दे, जानवर, इंसानों से बात चीत करेंगे, बल्कि चाबुक का सिरा और जूते का तस्मा (फीता) भी कलाम करेगा, उसके बाज़ार जाने के बाद जो कुछ घर में हुआ बताएगा, बल्कि खुद इंसान की रान उसे खबर देगी।
(18) कम दर्जे के लोग बड़े-बड़े महलों में फखर करेंगे।
(19) दज्जाल ज़ाहिर होगा, 40 दिन में हरमैन तैयिबैन के अलावा पूरी दुनिया की सैर करेगा, उसका फितना बहुत सख्त होगा, उसके साथ एक बाग़ होगा जिस को वो दोज़ख कहेगा और एक आग होगी जिस को वो जन्नत कहेगा। खुदाई का दावा करेगा। जो उसपर ईमान लाएगा उसे अपनी जन्नत में डालेगा और जो इनकार करेगा उसे जहन्नम में दाखिल करेगा। मुर्दे जिलाएगा, ज़मीन को हुक्म देगा, वह सब्ज़े उगाएगी, आसमान से पानी बरसाएगा। जादू के ज़ोर से इसी किसम की बहुत से करिश्मे दिखाएगा। उसकी पेशानी पर क, फ, र, यानी काफिर लिखा होगा, जिसको हर मुसलमान पढ़ेगा और काफिर को नज़र न आएगा।
(20) इमाम मेंहदी का जुहूरः दुनिया में जब सब जगह कुफर का गलबा होगा उस वक़्त तमाम अब्दाल बल्कि सारी दुनिया के औलियाए किराम सिमट कर हरमैन शरीफैन की तरफ हिजरत कर जायेंगे, सिर्फ इन्हीं दो जगहों पर इस्लाम होगा। रमज़ान शरीफ का महीना होगा, अब्दाल काबा शरीफ का तवाफ करते होंगे। हज़रत इमाम मेंहदी वही ज़ाहिर होंगे। तमाम औलियाए किराम उनके हाथों पर बैअत करेंगे, फिर वो तमाम लोगों को लेकर मुल्के शाम तशरीफ ले जायेंगे।
(21) हज़रत ईसा दमिश्क की जामा मस्जिद के मशिरकी मीनारा पर उतरेंगे। सुबह का वक़्त होगा, फजर की नमाज़ के लिये इकामत हो चुकी होगी, हज़रत इमाम मेंहदी को इमामत का हुक्म देंगे। हज़त ईसा की सांस की खुश्बू से दज्जाल लईन पिघलना शुरू होगा, वो भागेगा, आप पीछा करेंगे और उसकी पीठ में नेज़ा मारेंगे, वो जहन्नम रसीद हो जाएगा। आपके ज़माने में माल की कस्रत होगी, यहां तक कि अगर कोई शख़्स दूसरे को माल देगा तो वो क़बूल न करेगा। उस ज़माने में दुश्मनी, बुग़ज़, हसद आपस में बिल्कुल न होगा। पूरी दुनिया में सिर्फ दीने इस्लाम होगा और सिर्फ मज़हबे अहले सुन्नत होगा। आप के ज़माने में बच्चे सांप से खेलेंगे, शेर बकरी एक साथ चरेंगे। आप 40 साल तक दुनिया में क्याम फरमायेंगे। निकाह करेंगे, औलाद भी होगी। वफात के बाद हुजूर के रौज़ए मुनव्वरा में मदफून होंगे।
(22) हज़त ईसा ( जब दज्जाल को कत्ल करके मुसलमानों को कोहे तूर पर ले जायेंगे उस वक़्त याजूज माजूज निकलेंगे, दुनिया में फसाद और क़त्लो-गारत मचायेंगे, फिर हज़रते ईसा की दुआ से अल्लाह उनकी गर्दनों में कीड़े पैदा कर देगा जिस से वो सब के सब मर जायेंगे, फिर एक किसम के परिन्दे ज़ाहिर होंगे जो उनकी लाशों को फेंक आयेंगे।
(23) उस वक़्त बहुत बरकत होगी, यहां तक कि एक अनार को एक जमाअत मिल कर खाएगी और उसके छिलके के साए में दस आदमी बैठेंगे। दूध में इतनी बरकत होगी कि एक ऊंटनी का दूध एक जमाअत पियेगी, एक गाय का दूध एक कबीला और एक बकरी का दूध खानदान भर को काफी होगा।
(24) एक धुवां ज़ाहिर होगा जिससे ज़मीन से आसमान तक अंधेरा होगा।
(25) दाब्बतुल अर्ज निकलेगा, यह एक किसम का जानवर है। इसके साथ में हज़रते मूसा का असा और हज़रते सुलैमान की अंगूठी होगी। असा से मुसलमानों की पेशानी पर नूरानी निशान और अंगूठी से काफिरों की पेशानी पर सख्त काला धब्बा लगाएगा। उस वक़्त तमाम मुसलमान और काफिर अलानिया तौर पर पहचाने जायेंगे, यह अलामत कभी बदलेगी नहीं, जो काफिर है वह कभी ईमान न लायेगा और जो मुसलमान है वह हमेशा ईमान पर कायम रहेगा।
(26) सूरज पच्छिम से निकलेगा। इस निशानी के ज़ाहिर होने के बाद तौबा का दरवाज़ा बंद हो जाएगा, उसके बाद किसी का मुसलमान होना या तौबा करना मोतबर न होगा।
(27) क्रियामत से 40 साल पहले एक ठंडी खुश्बूदार हवा चलेगी जो लोगों की बग्लों के नीचे से गुज़रेगी, उससे मुसलमानों की रूह क़ब्ज़ हो जायेगी और काफिर ही काफिर रह जायेंगे फिर उन्हीं पर कियामत कायम होगी।
☆ कियामत की सब निशानियां ज़ाहिर होने के बाद 40 साल तक किसी की कोई औलाद न होगी। यह 40 साल का ज़माना ऐसा गुज़रेगा जिसमें दुनिया में सिर्फ काफिर ही काफिर होंगे, अल्लाह कहने वाला कोई न होगा। * एक दिन सब अपने-अपने कामों में मसूरूफ होंगे कि हज़रते इस्राफील को सूर फूंकने का हुक्म होगा, शुरू-शुरू में उसकी आवाज़ बारीक होगी, फिर धीरे-धीरे तेज़ होगी, लोग कान लगा कर उसकी आवाज़ सुनेंगे, बेहोश कर गिर पड़ें और मर जायेंगे। आसमान, ज़मीन, पहाड़ यहां तक कि खुद हज़रते इस्राफील और तमाम फरिश्ते भी फना हो जायेंगे। अल्लाह की ज़ात के अलावा कुछ भी बाकी न रहेगा। ☆ फिर अल्लाह जब चाहेगा हज़रते इस्राफील को ज़िंदा फरमाकर हुक्म देगा, वो दोबारा सूर फूंकेंगे, सूर फूंकते ही तमाम अगले पिछले, फरश्तेि, इंसान, जिन्न, हैवान सब मौजूद हो जायेंगे।
- सबसे पहले हुजूर सल्ब्रेलाहू अलैहि वसल्लम कब्रे अनवर से इस तरह बाहर निकलेंगे कि आपके दाहिने हाथ में हज़रत सिद्दीके अक्बर और बाएं हाथ में हज़रत फारूके आज़म रदिअल्लहु अन्हुमा का हाथ होगा, फिर मक्का मुज़्ज़मा और मदीना मुनव्वरा के कब्रिस्तानों में जितने हैं सबको साथ लेकर आप मैदाने हश्र में तशरीफ ले जायेंगे।
- हश्र सिर्फ रूह का नहीं बल्कि रूह और जिस्म दोनों का होगा। * दुनिया में जो रूह जिस जिस्म में थी, उसका हश्र उसी के साथ होगा।
- जिस्म के अज़ा अगर्चे मरने के बाद बिखर गए थे या मुख्तलिफ जानवरों ने खा लिया था, अल्लाह ताला अपनी कुद्रत से सबको जमा फरमा कर उठाएगा।
- कियामत के दिन लोग अपनी-अपनी कब्रों से नंगे बदन, नंगे पांव, गैर खतना शुदा उठेंगे।
- मैदाने हश्च मुल्के शाम की ज़मीन पर कायम होगा।
- ज़मीन तांबे की होगी और सूरज एक मील के फासिले पर होगा, भेजे खौलते होंगे और पसीना इतना ज़्यादा निकलेगा कि सत्तर गज़ ज़मीन में जज़्ब हो जायेगा, फिर जो ज़मीन जज़्ब न कर सकेगी, वो ऊपर चढ़ेगा, किसी के टखनों तक होगा, किसी के घुटनों तक, किसी की कमर तक, किसी के गले तक और काफिरों के मुंह तक चढ़ कर लगाम की तरह जकड़ जायेगा जिसमें वो डुबकियां खायेंगे।
- प्यास इतनी शदीद होगी कि ज़बानें सूख कर कांटा हो जायेंगी। बाज़ लोगों की ज़बानें मुंह से बाहर निकल आयेंगी।
- हर शख्स अपने गुनाहों के मुताबिक तक्लीफ में मुबतला होगा।
- जिसने चांदी सोने की ज़कात न दी होगी उस माल को खूब गर्म करके उसकी करवट और पेशानी और पीठ पर दागा जायेगा।
- ☆जिसने जानवरों की ज़कात न दी होगी उसको लिटाया जायेगा, उसके जानवार कियामत के दिन खूब मोटे ताज़े होके आयेंगे और अपनी सींगों से मारते हुए और पैरों से रौंदते हुए उसके ऊपर से गुज़रेंगे। यह हाल उस वक़्त तक रहेगा जब तक लोगों का हिसाब न हो जाए।
- कोई शख़्स किसी का पुरसाने हाल न होगा, भाई, भाई से भागेगा, मां बाप औलाद से पीछा छुड़ायेंगे, हर कोई अपनी मुसीबत में गिरफ्तार होगा, कोई किसी की मदद न करेगा। * यह सब तक्लीफें दो चार घंटे, दो चार दिन, दो चार महीने की नहीं बल्कि कियामत का दिन पचास हज़ार बरस का होगा।
Qayamat Ke Din Huzoor Ki Shifa'at | क़यामत के दिन हुज़ूर की शफ़ाअत
- अहले महशर आपस में मशवरा करेंगे कि कोई अपना सिफारिशी ढूंढना चाहिये जो हम को इन मुसीबतों से रिहाई दिलाए । लोग हज़रत आदम के पास अपनी फरियाद लेकर पहुंचेंगे और आप से सिफारिश के लिये अर्ज़ करेंगे। आप फरमायेंगे किसी और के पास जाओ। लोग हज़रत नूह के पास जायेंगे, वो भी फरमायेंगे कि किसी और के पास जाओ। लोग हज़रत इब्राहीम की बारगाह मे हाज़िर होंगे, वो भी फरमायेंगे कि किसी और के पास जाओ। इसी तरह हज़रत मूसा और हज़रत ईसा के पास भी हाज़िर हों वो हज़रात भी यही फरमायेंगे। फिर लोग हुजूर रहमते आलम की बारगाहे बेकस पनाह में हाज़िर होंगे, हुजूर फरमायेंगे (मैं इस काम के लिये हूं) यह फरमा कर बारगाहे रब्बुल इज़्ज़त में हाज़िर हो और सज्दा करेंगे। अल्लाह तआला फरमाएगाः یا محَمَّدُ ارْفَعُ رَاسَكَ وَقُلْ تُسْمَعُ وَسَلْ تُعْطَهُ وَاشْفَعُ تُشَفْعُ )ए मुहम्मद ! अपना सर उठाओ और कहो, तुहारी बात सुनी जायेगी। मांगो जो कुछ मांगोगे मिलेगा। शफाअत करो तुम्हारी शफाअत कबूल की जायेगी।
- सबसे पहले हुजूर शफाअत फरमायेंगे, यहां तक कि जिसके दिला राई के दाने से कम भी ईमान होगा, उसके लिये शफाअत फरमा उसे जहन्नम से निकालेंगे। अब तमाम अंबिया अपनी उम्मत की शफाअत फरमायेंगे। कियामत और हश्र में औलियाए किराम, शुहदा, हुफ्फाज़, हुज्जाज, बल्कि हर वो शख्स जिस को कोई मंसवे दीनी इनायत हुआ, अपने अपने मुतल्लिकीन की शफाज़त करेगा।
- हिसाब के मुख्तलिफ दर्जे होंगे। किसी से निहायत ही आसानी के साथ हिसाब लिया जायेगा, फिर अल्लाह ताला अपने करम या हुजूर की शफाअत से उसके गुनाहों को माफ फरमा कर उसे जन्नत में दाखिल फरमा देगां कुछ लोगों से सख्ती के साथ लिया जायेगा, यहां तक कि उनके मुंह पर मोहर लगा दी जायेगी और उनके अज़ा उनके गुनाहों की गवाही देंगे, फिर उन्हें जहन्नम में डाल दिया जायेगा।
- कियामत के दिन हर शख्स को उसका नामाए आमाल दिया जायेगा। नेकों के दाहिने हाथ में, गुनहगारों के बायें हाथ में और काफिरों का सीना तोड़ कर उसका बायां हाथ उसकी पीठ की पीछे निकाल कर उस में दिया जायेगा।
- *कियामत के दिन नबीए अक्रम को हौज़े कौसर अता किया जायेगा। उस हौज़ की लम्बाई, चौड़ाई एक महीना का रास्ता है। उसका पानी दूध से ज़्यादा सफेद, शहद से ज़्यादा मीठा और मुश्क से ज़्यादा पाकीज़ा होगा। उस पर गिनती में सितारों से भी ज़्यादा बरतन होंगे, जो उसका पानी एक मर्तबा पियेगा फिर कभी प्यासा न होगा।
- *मीज़ान एक तराजू है जिस पर लोगों के अच्छे और बुरे आमाल वज़न किये जायेंगे, मगर यह दुनियवी तराज़ू के बरखिलाफ होगा कि इसका जो पल्ला भारी होगा वो ऊपर की तरफ उठेगा।
- कियामत के दिन अल्लाह हुजूरे अक्दस को मकामे महमूद अता फरमाएगा, जहां तमाम अगले पिछले लोग आपकी तारीफ करेंगे।
- कियामत के दिन हुजूर को एक झंडा अता होगा जिसको "لواءُ الحَمْد कहते हैं। हज़रत आमद से लेकर कियामत तक के तमाम मोमिनीन उस झंडे के नीचे होंगे।
- जन्नत में जाने का जो रास्ता है उसे "पुल सिरात" कहते हैं, यह जहन्नम के ऊपर बना हुआ है, बाल से ज़्यादा बारीक और तलवार से ज़्यादा तेज़ है। ☆ लोग पुल सिरात पर अपने आमाल के ऐतबार से गुज़रेंगे। जिसके आमाल बहुत अच्छे होंगे, वो निहायत ही तेज़ी के साथ गुज़र जायेगा, जिसके आमाल बुरे होंगे वो निहायत ही धीमी रफ्तार के साथ। जो जहन्नमी होंगे वो गुज़र न सकेंगे बल्कि जहन्नम में गिर जायेंगे।
- कियामत के दिन हुजूर अपनी उम्मत के लिये परेशान होंगे, कभी मीज़ान पर तशरीफ लायेंगे, वहां जिसकी नेकियों में कमी होगी, उसकी शफाअत फरमा कर नजात दिलवायेंगे। कभी हौज़े कौसर पर आयेंगे, प्यासों को सैराब फरमायेंगे, कभी पुल सिरात के पास आयेंगे और गिरतों को बचायेंगे ।
- सबसे बड़ी नेमत जो कियामत के दिन मुसलमानों को मिलेगी वह यह कि उन्हें अल्लाह का दीदार नसीब होगा। सबसे पहले हुजूर को अल्लाह का दीदार नसीब होगा।
- जन्नत व दोज़ख बनाए जा चुके हैं, ऐसा नहीं है कि क़ियामत के दिन बनाए जायेंगे।