Surah Waqia Ki Fazilat | सूरह वाक़िआ की फ़ज़ीलत
सूरह वाक़िआ की फ़ज़ीलत | Surah Waqia Ki Fazilat
क़ुरान अल्लाह ताला की ऐसी किताब है जिस में अल्लाह ताला ने हर चीज़ की भलाई राखी है। आजा हम सूरह वाक़िआ की फ़ज़ीलत बता रहे हैं जो क़ुरान की एक छोटी सूरत है लेकिन इसकी बे शुमार बरकतें हैं।
इस सूरत को पढ़ने वाला कभी फ़ाक़ा (भूका ) नहीं कर सकता
एक मर्तबा हज़रात अब्दुल्लाह बिन मसूद बीमार हुए तो हज़रत उस्मान उनकी तीमार दारी के लिए तशरीफ़ ले गए और फ़रमाया की अगर आप इजाज़त दें तो सरकारी ख़ज़ाने से कुछ आप को भेज दूँ जो आप के बाद आप के बच्चो के काम आएगा। तो हज़रात अब्दुल्लाह बिन मसूद ने फ़रमा दिया और कहा इसकी ज़रुरत नहीं है। इस पर हज़रत ने कहा आप को ज़रुरत नहीं है लेकिन आप की बच्चियां है उनके काम आएगा और वह परेशां नहीं होंगी। हज़रत अब्दुल्लाह अब्ने मसूद की ग्यारह बच्चियां थीं , आप ने कहा की मैं ने रसूलुल्लाह सल्लाहु अलैहि वसल्लम को फरमाते हुए सुना है की जो सूरह वाक़िआ की तिलावत करता है उसके घर में कभी फ़ाक़ा नहीं हो सकता है। और अल्हम्दुलिल्लाह मैं ने अपनी अपनी सब बच्चियों को सूरह वाक़िअ पढ़ने की तालीम दी है लिहाज़ा वह अल्लाह के फ़ज़ल से आराम में रहेंगी और उन्हें कभी मुहताजी नहीं आएगी। सुभान अल्लाह ये सहाबा का इतना मज़बूत ईमान था की क्या कहने। . लिहाज़ा अगर आप चाहते हैं की आप के घर में कभी फ़ाक़ा न हो , घर वाले परेशां ना रहें तो रोज़ाना सूरह वाक़िआ की तिलावत किया करें। रोज़ाना किसी भी वक़्त एक मर्तबा सूरह वाक़िअ की तिलावत ज़रूर करें। बेहतर है की मगरिब के बाद फ़ौरन ये सूरत पढ़ा करें।
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