तवाफ़ की फ़ज़ीलत |Tawaf ki fazilat | Zamzam ki fazilat
तवाफ़ की फ़ज़ीलत |Tawaf ki fazilat | Zamzam ki fazilat
इमाम अहमद ने उबैद बिन उम्र से रिवायत की , आप कहते हैं मैं ने इब्ने उम्र रदिअल्लहु अन्हुमा से पुछा : क्या वजह है की आप हजरे अस्वद और रुकने यमानी को बोसा सेते हैं . जवाब दिया की मैं ने हुज़ूर को फरमाते सुना है : की उनका बोसा देना गुनाहों को गिरा देता है .और मैं ने हुज़ूर को फरमाते सुना है की जिस ने ७ फेरे तवाफ़ इस तरह किया की उसके आदाब को मल्हूज़ रखा और २ रकात नमाज़ पढ़ी तो ये गुलाम आज़ाद करने की तरह है | मैं ने हुज़ूर को ये फरमाते सुना है की तवाफ़ में हर कदम उठाने और रखने पर १० नेकियाँ लिखी जाती हैं और १० गुनाह मिटाए जाते हैं और १० दर्जात बुलंद किये जाते हैं |तवाफ़ करने का तरीका | Tawaf karne ka tarika
तवाफ़ शुरू करने से पहले चादर को दाहिनी बगल के नीचे से निकाल कर बाएं कंधे पर दे की दाहिना मूंधा खुला रहे | अब काबा की तरफ मुंह करके रुकने यमानी की जानिब संगे अस्वाद के करीब इस तरह खड़ा हो की हजरे अस्वाद और मकामे इब्राहीम अपने दाहिने हाथ की तरफ रखे . फिर तवाफ़ की नियत करे |तवाफ़ की नियत कैसे करे | Tawaf ki niyat kaise kare
अगर तवाफ़ की नियत अरबी में करना हो तो इस तरह करे .اللھم انی ارید طواف بیتک المحرم فیسرہ لی و تقبلہ منی
और अगर उर्दू hindi में नियत जरना है तो इस तरह नियत करे | अये अल्लाह मैं तेरे इस पाकीज़ा घर का तवाफ़ करना चाहता हूँ . मेरे लिए आसानी फरमा | इस नयत के बाद काबा की तरफ मुंह कर के अपनी दाहिनी जानिब चलो . जब संगे अस्वद के मुकाबिल हो कानों तक हाथ इस तरह उठाओ की हथेलियाँ हजरे अस्वद की तरफ रहें . और इस तरह कहो अये अल्लाह मैं तेरे इज्ज़त वाले घर का तवाफ़ करना चाहता हूँ | इसको तो मेरे लिए आसन कर दे और इसक मुझ से कुबूल कर |तवाफ़ की २ रकात नमाज़ का तरीका
तवाफ़ के बाद मकामे इब्राहीम में २ रकात नमाज़ पढो | और ये नमाज़ वाजिब है | तवाफ़ की नमाज़ की नियत इस तरह करे . नियत की मैं ने २ रकात नमाज़ वाजिब तवाफ़ की वास्ते अल्लाह ताला के मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर . पहली रकात में कुल या अय्युहल काफिरून और दूसरी रकात में कुल हुवाल्लाहू अहद पढ़े | अगर कराहत का वक़्त हो तो ये नमाज़ बाद में पढ़े |ज़मज़म पीने की दुआ और तरीका | Zamzam peene ki dua aur tarika
हुज़ूर सल्लाहू अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं की ज़मज़म जिस नियत के साथ पी जाये वही नियत पूरी होती है . यानि अगर कोई बीमार हो और उस बीमारी के दूर होने की नियत से ज़मज़म पिए तो वो बीमारी दूर होगी | ज़मज़म किबला की तरफ मुंह करके ३ सांस में पीना चाहिए | हर सांस पर बिस्मिल्लाह से शुरू और अल्हम्दुलिल्लाह पर ख़तम करे | और हर बार काबा की तरफ निगाह उठा कर देखे | और अपने दिल में जो भी तमन्ना हो उसको करे . इंशा अल्लाह सारी तमन्ना पूरी होगी | ज़मज़म पीने की खुसूसी दुआ ये है | अल्लाहुमा इन्नी असा'लुक इल्मन नफिया व रिज्कां वासिया व अमलम मुताक़ब्बला व शिफा'म मं कुल्ली दाय | अये अल्लाह मैं तुझ से इल्मे नफ़ा बख्श और कुशादा रिजक , अमले मकबूल और हर बीमारी से शिफा मांगता हूँ |अजहर अलीमी | मसाइल वर्ल्ड