Zakat Ke Masail | ज़कात के मसाइल

Azhar Alimi
27 Nov 2023

Zakat Ke Masail | ज़कात के मसाइल

  • जकात निकलना हर मुसलमान, आकिल बालिग़ , आजाद और साहब निसाब शख्स पर वाजिब है . जब निसाब पूरा होने के बाद उस पर 1 साल का अरसा गुजर जाए 
  • सोने का हिसाब 7:30 तोला और चांदी का हिसाब 52:30 तोला है सोना चांदी में 40 वां हिस्सा निकाल कर जकात के तौर पर अदा करना फर्ज है 
  • ज़रूरी नहीं की सोना चांदी के निसाब में सोना चांदी ही दी जाए बलकि बाजार के भाव से सोने चांदी की कीमत लगाकर रुपया जकात में दे 
  • अगर किसी के पास थोड़ी चांदी और थोड़ा सोना है और सोना चांदी में से कोई भी अलग से हिसाब के मिकदार को नहीं है तो दोनों को मिलाकर उनकी पूरी कीमत  निकाली जाएगी और जिस मिकदार (यानी सोना या चांदी ) को भी वह पहुंचे उसे पर ज़कात वाजिब है
  • जिन जेवरात की मालिक औरत हो चाहे वो मइके से लाइ हो या शौहर ने देकर मालिक बना दिया हो तो उसकी ज़कात औरत पर फर्ज है और जिन जेवरातका मालिक मर्द हो यानी औरत को सिर्फ पहनने के लिए दिया गया है मालिक नहीं बनाया उन ज़ेवरात की जकात मर्द पर वाजिब है औरत पर नहीं
  •  तिजारती माल और सामान की कीमत लगाई जाएगी उससे अगर सोने या चांदी का हिसाब पूरा हो तो उसके हिसाब से जकात निकल जाएगी अगर सोना चांदी ना हो ना माले तिजारत हो बल्कि सिर्फ नोट और रुपए हो तो कम स कम इतने रुपए पैसे और नोट हो की बाजार में उनसे 7:30 तोला सोना यह साढ़े 52 तोला चांदी खरीदी जा सकती हो और रुपए पैसों की जकात का कुल 40 व हिस्सा निकलना फर्ज है 

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