Surah kahf ki fazilat | सूरह कहफ़ की फ़ज़ीलत और वजीफा
Surah kahf ki fazilat | सूरह कहफ़ की फ़ज़ीलत और वजीफा
हज़रत अबू इसहाक रदिअल्लहु अन्हु से मर्वी है की वो कहते हैं की मैं ने हज़रत बरा बिन आज़िब रदिअल्लहु अन्हु को फरमाते हुए सुना : एक शख्श सुरह कहफ़ पढ़ रहा था की अचानक उस ने अपने चोपाये को देखा की वो बिदक रहा है और एक बादल नमूदार हो रहा है | वो रसूलुल्लाह सल्लाहू अलैहि वसल्लम के पास आया और आप से माजरा बयान किया . नबी e करीम सल्लाहू अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया : ये सकीना है जो कुरान मुक़द्दस पर नाजिल हुआ है | ( सुनन e तिरमिज़ी , हिस्सा ५ , पेज १६१ )सुरह कहफ़ पढने वाला दज्जाल के फिटने से महफूज़ रहेगा |Surah kahf ki fazilat
हज़रत अबू दर्दा रदिअल्लहु अन्हु से मर्वी है की आका करीम सल्लाहू अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया :من قرآ ثلاث آیات من اول الکھف عصم من فتنۃ الدجال
जिस ने सुरह कहफ़ की पहली ३ आयतें पढ़ीं वो दज्जाल के फिटने से महफूज़ रहेगा | ( सुनन e तिरमिज़ी , हिस्सा ५ , पेज १६२ ) हज़रत अबू दर्दा रदिअल्लहु अन्हु से एक रिवायत इन अलफ़ाज़ में है :من حفظ عشر آیات من اول سورۃ الکھف عصم من فتنۃ الدجال
जो शख्श सूरह कहफ़ की १० आयतें याद कर ले वो दज्जाल के फिटने से महफूज़ रहेगा |( मिशकातुल मसाबीह ,हिस्सा १ , पेज ६५६ )
सुरह कहफ़ पढने वाले के लिए एक जुमा से दूसरे जुमा तक नूर होगा
हज़रात अबू सईद रदिअल्लहु अन्हु से मर्वी है की नबी e करीम सलाहू अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : जिस ने जुमा के दिन सूरह कहफ़ की तिलावत की उसके लिए इस जुमा से अगले जुमा तक एक नूर होगा |( मिशकातुल मसाबीह ,हिस्सा १ , पेज ६६७ )
हज़रात अबू सईद खुदरी रदिअल्लहु अन्हु से मर्वी है की नबी e करीम सलाहू अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : जिस ने सूरह कहफ़ को वैसे पढ़ा जैसे नाजिल हुई है तो उसकी कब्र से मक्का तक नूर होगा |( अल मुस्तदरक लिल हाकिम हिस्सा १ , पेज ७५२ )
हज़रात अब्दुल्लाह बिन फरवा रदिअल्लहु अन्हु से रिवायत है की रसूलुल्लाह सल्ल्लाहू अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : क्या मैं तुम्हें ऐसी सूरत से आगाह न करूँ की जब वो नाजिल हुई तो उसकी अजमत ने जमीन ओ आसमान के दरमियानी जगह को भर दिया . ऐसे ही उसके पढने वाले को भी सवाब नसीब होगा | सब ने अर्ज़ की हमें उस से आगाह फरमाएं : आप ने फ़रमाया वो सूरह कहफ़ है | जो उसे जुमा के दिन पढ़ेगा उसके आने वाले जुमा तक तमाम गुनाह बख्श दिए जायेंगे . और उसपर तीन ज्यादा के गुनाह भी माफ़ किये जायेंगे | और क़यामत में उसे ऐसा नूर अता होगा जिस की किरणें आसमान तक पहुंचेंगी और वो दज्जाल से महफूज़ रहेगा |(तफसीर e रूहुल बयां उर्दू हिस्सा ८ , पेज ९८ )
हजरत उबई बिन का'ब रदिअल्लहु अन्हु से रिवायत है की हुज़ूर रहमत e आलम ने इरशाद फ़रमाया : जो शख्श सूरह कहफ़ पढ़ता है वो आठ दिन तक हर फिटने से महफूज़ रहेगा |(तफसीर e रूहुल बयां उर्दू हिस्सा ८ , पेज ९८ )
हुज़ूर सोने से पहले सूरह कहफ़ पढ़ा करते थे
हजरत जाबिर रदिअल्लहु अन्हु से रिवायत है , आप फरमाते हैं की रसूलुल्ल्लाह सल्लाहू अलैहि वसल्लम रोजाना सोने से पहले अलिफ़ लाम मीम सजदा और सूरह कहफ़ की तिलावत किया करते थे |( मिशकातुल मसाबीह ,हिस्सा १ , पेज ६६३ )